बिहार में हो रही जातीय जनगणना से आधी आबादी खुश है तो आधी आबादी को शिकायतें हैं। इसके बावजूद नीतीश सरकार का कहना है कि बिहार के लिए जाति जनगणना बहुत जरूरी है। केंद्र ने इसके खिलाफ मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचाया। इसके बाद अदालत ने या मामला हाई कोर्ट को भेज दिया। हाईकोर्ट में मामले को लेकर 2 दिन सुनवाई हुई इसके बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित कर दिया।
तत्काल में अदालत में जातीय जनगणना पर रोक लगा दी है। चीफ जस्टिस विनोद चंद्रन की बेंच ने आदेश दिया है कि बिहार में जाति जनगणना रोक दी जाए। हालांकि कोर्ट ने यह भी कहा है कि अभी तक जो डाटा कलेक्ट किया गया है उसे नष्ट नहीं किया जाएगा मामले पर सुनवाई होगी।
इधर नीतीश कुमार का कहना है कि जातीय जनगणना सर्वसम्मति से कराई जा रही है हम लोगों ने किन से इसकी अनुमति ली थी लेकिन जब केंद्र सरकार नहीं मानी तो हम लोगों ने जाति आधारित जनगणना सा आर्थिक सर्वे कराने का फैसला सुनिश्चित किया।
कैबिनेट से पूरी गणना पर 500 करोड़ खर्च करने की मुहर लगी है लेकिन इसे कानूनी रूप नहीं दिया गया है । बीते 24 अप्रैल को यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को पटना हाई कोर्ट जाने को कहा था इसके बाद 2 और 3 मई को हाईकोर्ट में इस मामले में सुनवाई हुई थी। जिसके बाद कोर्ट ने 3 जुलाई को अगली सुनवाई की तारीख तय की है।
बता दें कि 7 जनवरी से जातीय जनगणना की शुरुआत बिहार में हुई थी। बीते 15 अप्रैल से इसके दूसरे फेज की शुरुआत होने वाली थी तब तक 21 अप्रैल को यह मामला सुप्रीम कोर्ट में जा पहुंचा 27 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट जाने को कहा हाईकोर्ट ने 2 और 3 मई को सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा और 4 मई से बिहार में जाति जनगणना पर रोक लगा दी गई।
याचिकाकर्ता के वकील दीनू कुमार ने कहा कि आखिर इस जाति आधारित गणना का उद्देश्य क्या है एक मोटी रकम 500 करोड़ रुपए खर्च करने की बात कही जा रही है इसका क्या फायदा होगा और इसका परिणाम क्या होगा। इससे बिहार का विकास कैसे होगा। उन्होंने सरकार से सवाल करते हुए कहा एक तरफ जाति प्रथा को खत्म करने की लगातार बात कही जा रही है वहीं दूसरी तरफ जातीय जनगणना कराकर सरकार आखिर किसे फायदा पहुंचाना चाहती है।
जिस पर अपनी दलील पेश करते हुए पीके शाही ने कहा कि सरकार के पास वंचित समाज और आर्थिक रूप से कमजोर लोगों का कोई डाटा नहीं है लिहाजा जातिगत आंकड़े जरूरी है उन्होंने यह भी दलील दी कि आकाश टेंशन नहीं है यह जातीय गणना आर्थिक सर्वेक्षण है। कोर्ट के चीफ जस्टिस की बेंच से दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद या फैसला सुरक्षित रखा गया है।