90 सचिवों में यूपी के सिर्फ छह…संयुक्त सचिव चार, अपर सचिव दहाई में भी नहीं

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केंद्रीय नौकरशाही में यूपी कैडर के घटते दबदबे का आलम यह है कि यहां अभी मंत्रालयों व अधीनस्थ विभागों में 90 सचिव हैं, जिनमें यूपी से सिर्फ छह हैं। 2016 में यूपी के 73 अधिकारी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर थे। इनमें कैबिनेट सचिव सहित 16 मंत्रालयों की कमान यूपी के अफसरों के हाथ में थी। वर्तमान में जो छह सचिव हैं, उनमें खान मंत्रालय के सचिव आलोक टंडन, उर्वरक मंत्रालय में अरुण सिंघल, पर्यावरण मंत्रालय की सचिव लीला नंदन, पंचायतीराज मंत्रालय के सुनील कुमार, कार्मिक मंत्रालय में सचिव एस. राधा चौहान तथा ऊर्जा मंत्रालय के सचिव आलोक कुमार शामिल हैं।

अगले महीने पांच सचिव रह जाएंगे
आलोक टंडन इसी माह सेवानिवृत्त हो जाएंगे, तब सचिवों की संख्या पांच रह जाएगी। इन छह के अलावा सचिव स्तर की अधिकारी अर्चना अग्रवाल एनसीआर प्लानिंग बोर्ड में बतौर सचिव तथा शालिनी प्रसाद नीति आयोग में स्पेशल सेक्रेटरी के पद पर तैनात हैं।

वही, संयुक्त सचिव चार जबकि अपर सचिव दहाई में भी नहीं हैं। दरअसल, केंद्र के हर मंत्रालय में कई-कई संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी होते हैं। मगर, इस समय यूपी से मंत्रालयों में केवल चार अधिकारी ही संयुक्त सचिव के पद पर तैनात हैं। ये हैं मानव संसाधन विकास मंत्रलाय के उच्च शिक्षा विभाग में कामिनी चौहान रतन, फर्टिलाइजर डिपार्टमेंट में अनीता सी. मेश्राम तथा केंद्रीय खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रलाय में वेयरहाउसिंग डवलपमेंट रेगुलेटरी अथॉरिटी में धीरज साहू। 

इनके अलावा, संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी आमोद कुमार भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण में डिप्टी डीजी हैं। केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर तैनात यूपी के अफसरों में सबसे ज्यादा संख्या अपर सचिवों की है। ये भी नौ हैं। इनमें कामरान रिजवी, निवेदिता शुक्ला वर्मा, अमित घोष, लीना जौहरी, भुवनेश कुमार, आशीष गोयल, मृत्युंजय कुमार नारायण, संतोष यादव और वी. हेकाली झिमोमी के नाम शामिल है।

कम उपलब्धता के ये भी कारण

  • केंद्र सरकार केंद्रीय प्रतिनियुक्ति में चयन के लिए 360 डिग्री मापदंड का सहारा लेती है। इससे तमाम अधिकारी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए चयनित नहीं हो पाते। राज्य में वरिष्ठ पदों पर कार्यरत तमाम अफसर संयुक्त सचिव, अपर सचिव व सचिव या इनके समतुल्य पद पर केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए पैनल में शामिल ही नहीं हो पा रहे हैं।
  • राज्य सरकार अपने पसंद के वरिष्ठ अफसरों को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने की अनुमति नहीं देना चाहती। यूपी में ऐसे कई अफसर कार्यरत हैं, जो काफी पहले केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए इम्पैनल हो चुके हैं। लेकिन, ये केंद्र में तैनाती के लिए उपलब्ध होने संबंधी आवेदन ही नहीं कर रहे हैं। इससे इन्हें तैनाती नहीं मिल रही है। कई अफसर तो सचिव स्तर के हैं, जो केंद्र में आने पर मंत्रालयों के सचिव होंगे। पर, राज्य से वे आ ही नहीं पा रहे।
  • केंद्र में अपर सचिव व सचिव पद  के लिए संयुक्त सचिव पद पर सेवा जरूरी है। इसके बाद भी अफसरों की उपलब्धता में कमी बनी है। यूपी में 652 अफसरों का कैडर होने के बावजूद वर्तमान में सिर्फ 522 अफसरों की उपलब्धता है। केंद्र में कम अफसरों के आने की यह भी एक वजह बताई जा रही है।
दबाव भी…कसौटी पर खरा उतरने की चुनौती भी
केंद्र में सचिव स्तर की अधिकारी जूथिका पाटणकर ने इसी महीने वीआरएस ले लिया। वहीं, अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय की सचिव रहीं रेणुका कुमार ने समय पूर्व राज्य वापसी पर वीआरएस की अर्जी दे दी। जिस दबाव में दोनों महिला अधिकारियों ने वीआरएस लिए, उससे बाकी अफसर भी आशंकित हैं। हालांकि, यह भी हकीकत है कि केंद्र ने प्रतिनियुक्ति के लिए 360 डिग्री का जो पैमाना निर्धारित किया है, उसमें तमाम अधिकारी खरे नहीं उतर रहे।

ये तो केंद्र में तैनाती के बावजूद नहीं आए
केंद्र सरकार ने अफसर के आवेदन व राज्य से अनापत्ति के बाद 11 अगस्त 2021 को 1990 बैच के आईएएस अधिकारी सुधीर गर्ग को गृह मंत्रालय के राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण में अपर सचिव के पद पर नियुक्ति की थी। गर्ग इसके बावजूद नहीं आए। इसी तरह 13 मई 2022  को 1995 बैच के आईएएस अधिकारी मुकेश कुमार मेश्राम को संस्कृति मंत्रालय में संयुक्त सचिव के पद पर नियुक्ति की थी। मेश्राम भी नहीं आए।

विस्तार

केंद्रीय नौकरशाही में यूपी कैडर के घटते दबदबे का आलम यह है कि यहां अभी मंत्रालयों व अधीनस्थ विभागों में 90 सचिव हैं, जिनमें यूपी से सिर्फ छह हैं। 2016 में यूपी के 73 अधिकारी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर थे। इनमें कैबिनेट सचिव सहित 16 मंत्रालयों की कमान यूपी के अफसरों के हाथ में थी। वर्तमान में जो छह सचिव हैं, उनमें खान मंत्रालय के सचिव आलोक टंडन, उर्वरक मंत्रालय में अरुण सिंघल, पर्यावरण मंत्रालय की सचिव लीला नंदन, पंचायतीराज मंत्रालय के सुनील कुमार, कार्मिक मंत्रालय में सचिव एस. राधा चौहान तथा ऊर्जा मंत्रालय के सचिव आलोक कुमार शामिल हैं।

अगले महीने पांच सचिव रह जाएंगे

आलोक टंडन इसी माह सेवानिवृत्त हो जाएंगे, तब सचिवों की संख्या पांच रह जाएगी। इन छह के अलावा सचिव स्तर की अधिकारी अर्चना अग्रवाल एनसीआर प्लानिंग बोर्ड में बतौर सचिव तथा शालिनी प्रसाद नीति आयोग में स्पेशल सेक्रेटरी के पद पर तैनात हैं।

वही, संयुक्त सचिव चार जबकि अपर सचिव दहाई में भी नहीं हैं। दरअसल, केंद्र के हर मंत्रालय में कई-कई संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी होते हैं। मगर, इस समय यूपी से मंत्रालयों में केवल चार अधिकारी ही संयुक्त सचिव के पद पर तैनात हैं। ये हैं मानव संसाधन विकास मंत्रलाय के उच्च शिक्षा विभाग में कामिनी चौहान रतन, फर्टिलाइजर डिपार्टमेंट में अनीता सी. मेश्राम तथा केंद्रीय खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रलाय में वेयरहाउसिंग डवलपमेंट रेगुलेटरी अथॉरिटी में धीरज साहू। 

इनके अलावा, संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी आमोद कुमार भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण में डिप्टी डीजी हैं। केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर तैनात यूपी के अफसरों में सबसे ज्यादा संख्या अपर सचिवों की है। ये भी नौ हैं। इनमें कामरान रिजवी, निवेदिता शुक्ला वर्मा, अमित घोष, लीना जौहरी, भुवनेश कुमार, आशीष गोयल, मृत्युंजय कुमार नारायण, संतोष यादव और वी. हेकाली झिमोमी के नाम शामिल है।

कम उपलब्धता के ये भी कारण

  • केंद्र सरकार केंद्रीय प्रतिनियुक्ति में चयन के लिए 360 डिग्री मापदंड का सहारा लेती है। इससे तमाम अधिकारी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए चयनित नहीं हो पाते। राज्य में वरिष्ठ पदों पर कार्यरत तमाम अफसर संयुक्त सचिव, अपर सचिव व सचिव या इनके समतुल्य पद पर केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए पैनल में शामिल ही नहीं हो पा रहे हैं।
  • राज्य सरकार अपने पसंद के वरिष्ठ अफसरों को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने की अनुमति नहीं देना चाहती। यूपी में ऐसे कई अफसर कार्यरत हैं, जो काफी पहले केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए इम्पैनल हो चुके हैं। लेकिन, ये केंद्र में तैनाती के लिए उपलब्ध होने संबंधी आवेदन ही नहीं कर रहे हैं। इससे इन्हें तैनाती नहीं मिल रही है। कई अफसर तो सचिव स्तर के हैं, जो केंद्र में आने पर मंत्रालयों के सचिव होंगे। पर, राज्य से वे आ ही नहीं पा रहे।
  • केंद्र में अपर सचिव व सचिव पद  के लिए संयुक्त सचिव पद पर सेवा जरूरी है। इसके बाद भी अफसरों की उपलब्धता में कमी बनी है। यूपी में 652 अफसरों का कैडर होने के बावजूद वर्तमान में सिर्फ 522 अफसरों की उपलब्धता है। केंद्र में कम अफसरों के आने की यह भी एक वजह बताई जा रही है।

दबाव भी…कसौटी पर खरा उतरने की चुनौती भी

केंद्र में सचिव स्तर की अधिकारी जूथिका पाटणकर ने इसी महीने वीआरएस ले लिया। वहीं, अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय की सचिव रहीं रेणुका कुमार ने समय पूर्व राज्य वापसी पर वीआरएस की अर्जी दे दी। जिस दबाव में दोनों महिला अधिकारियों ने वीआरएस लिए, उससे बाकी अफसर भी आशंकित हैं। हालांकि, यह भी हकीकत है कि केंद्र ने प्रतिनियुक्ति के लिए 360 डिग्री का जो पैमाना निर्धारित किया है, उसमें तमाम अधिकारी खरे नहीं उतर रहे।

ये तो केंद्र में तैनाती के बावजूद नहीं आए

केंद्र सरकार ने अफसर के आवेदन व राज्य से अनापत्ति के बाद 11 अगस्त 2021 को 1990 बैच के आईएएस अधिकारी सुधीर गर्ग को गृह मंत्रालय के राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण में अपर सचिव के पद पर नियुक्ति की थी। गर्ग इसके बावजूद नहीं आए। इसी तरह 13 मई 2022  को 1995 बैच के आईएएस अधिकारी मुकेश कुमार मेश्राम को संस्कृति मंत्रालय में संयुक्त सचिव के पद पर नियुक्ति की थी। मेश्राम भी नहीं आए।

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